डीएम मैडम! जिले का कथित पत्रकार,पत्रकारिता की आड़ में कर रहा मानसिक उत्पीड़न का कारोबार

पत्रकारिता की आड़ में अल्ट्रासाउंड सेंटरों को बनाता है निशाना,करता मानसिक उत्पीड़न व शोषण*


गाजीपुर। मिली जानकारी के अनुसार कथित पत्रकार लिखता है कि.... जिले के नंन्दगंज बाजार के पैथोलॉजी का अजीबो-गरीब कारनामा सामने आया है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि यहां एक युवक ने पेट दर्द की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड कराया। पहले तो उसको बताया गया कि उसके बायी किडनी में डाइलेटेड के साथ चार एम. एम की पथरी (स्टोन) है। लेकिन जब युवक ने उसी दिन दोबारा दूसरे अल्ट्रासाउंड सेंटर पर जाकर जांच कराई तो पता चला कि बायी किडनी में पथरी (स्टोन) है ही नहीं। दरअसल 32 वर्षीय वी.के सिंह ने डीएम समेत उप मुख्यमंत्री/ स्वास्थ्य मंत्री को शिकायती पत्र में बताया कि 10 अप्रैल को पेट में दर्द हो रहा था तभी नंन्दगंज बाजार के चोचकपुर मोड़ स्थित हेल्थ केयर डायग्नोस्टिक सेंटर में समय 10: 37 मिनट पर कराया जिसके Dr. V. S singh (MBBS sonologist) द्वारा दिए गए रिपोर्ट में बायी किडनी डाइलेटेड के साथ 4 mm की पथरी (स्टोन) दिया गया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि उसके फिल्म में 5.3 mm की पथरी (स्टोन) दिखाई गई। फिर उसी दिन 10 अप्रैल को दोपहर समय 1:15 मिनट पर नंन्दगंज बाजार स्थित भारत अल्ट्रासाउंड सेंटर में अल्ट्रासाउंड कराया जिसके रिपोर्ट में बायी किडनी से पथरी ( स्टोन) गायब थी। तथा बायी किडनी डाइलेटेड अंतिम चरण (ग्रेड lll)  में दर्शाया गया है। भारत अल्ट्रासाउंड सेंटर के रिपोर्ट डॉक्टर का मुहर व नाम ही नहीं है।

अब आप को बताते हैं कथित पत्रकार का कुचक्र क्या है....पूर्व में भी देखा गया है कि कथित पत्रकार किस तरीके से पत्रकारिता की आड़ में भारत अल्ट्रासाउंड को महीनों परेशान किया क्योंकि कथित पत्रकार एक नज़दिकी अल्ट्रासाउंड सेंटर का चहेता है और इसके व्यवसाय को बढ़ाने के लिए कथित पत्रकार ने भारत अल्ट्रासाउंड सेंटर को महीनों लगातार/प्रतिदिन उत्पीड़न करना शुरू किया मानो उसकी व्यक्तिगत रार हो।
वर्तमान में कथित पत्रकार ने भारत अल्ट्रासाउंड सेंटर को एक बार फिर से बदनाम करने का एक बड़ा कुचक्र रचा है ,जिसमें कथित पत्रकार ने अपने ही एक जान पहचान वाले युवक का अपने परिचित अल्ट्रासाउंड सेंटर जिसका नाम हेल्थ केयर सेंटर है, के यहां बीते 10 अप्रैल को सुबह के साढ़े 10 बजे जांच करवाता है,आपको बता दें कि   अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट आने में कुछ घंटे लग जाते हैं परन्तु यहां यह देखा जा रहा है कि जांच करवाने वाला ठीक उसी दिन दोपहर को समय 1:15 बजे भारत अल्ट्रासाउंड सेंटर में जांच करवाता है। यानि कि जैसे ही हेल्थ केयर सेंटर से रिपोर्ट मिली वैसे ही कथित कुचक्र कारीत पत्रकार अपने परिचित साथी को तुरंत भारत अल्ट्रासाउंड सेंटर भेजता है ताकि यदि जांच में किसी तरीके का अंतर मिले तो भारत अल्ट्रासाउंड को एक बार फिर से प्रताड़ित किया जा सके और यहाँ कथित षड्यंत्रकारी पत्रकार अपने मंसूबों में कामयाब हो जाता है । ये पूरी जांच रिपोर्ट चाहे वो भारत अल्ट्रासाउंड की हो या फिर हेल्थ केयर सेंटर की ये कैसे प्रमाणित होता है कि ये सही है और वो गलत,जबकि हकीकत ये है कि पूरे नंदगंज बाजार में संचालित जितने भी पैथोलॉजी अथवा अल्ट्रासाउंड सेंटर है उनमें से किसी एक पर भी डॉक्टर की उपस्थिति/मौजूदगी नहीं होती।
आखिर किसने और कैसे तय किया कि किसकी रिपोर्ट सही है क्या हेल्थ केयर सेंटर सभी मानकों को पूरा करता है,क्या ये नभ सर्टिफाइड है???
इस तरीके के कथित पत्रकार न सिर्फ पत्रकारिता के मूल्यों का हनन कर रहे बल्की समाज में पत्रकारों के प्रति द्वेष व दुर्भावना को पैदा कर रहे यदि ऐसे पत्रकारों की सीडीआर निकली जय तो इनके कुचक्र अपने आप सामने आ जाएं।

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